"इकबाल" के शेर 




"इकबाल" मैंने क्या बिगड़ा था नसीब का,
दूर हो गया मेहबूब मेरा जो था करीब का.!!

जाने कैसे लोग जी भर के सो लेते है "इकबाल",
हमें तो एक झपकी भी मयस्सर नहीं होती....

रुखसारे तिल देख ये मैंने " इकबाल" अंदाज लगाया,
शायद नज़र न लगे ये सोच, खुदा ने टिका लगाया..!!!

तुझे देख खामोश दिल भी गुनगुनाने लगता हैं,
दुनिया के सारे गम "इकबाल" मयखाने लगते हैं!!

लोग कहते इश्क और मुश्क छुपता नहीं,
फिर वो कैसे अपनी मोहब्बत को छुपा लेते हैं।

 फितरत तो उनकी तफ्स और नस-नस भरी है,
"इकबाल" फिर भी हम उन पे ऐतबार किये जाते है।

मिट के मेरे हाथो को सजाया तूने हिंना बनकर,
"इकबाल" जिंदगी बचाई उसने सफीन बनकर।

दिल में दाखिल हो गया वो दिलबर बनकर,
अब बदले ले रहा हमस वो कहर बनकर!!

 ख्वाब देखते है पारियों के, सूरत का ठिकाना नहीं, 
क्या आपके घर में कोई आशना नही। 

मेरे मेहबूब तूने तो कमाल कर डाला, 
कर श्रृंगार आशिकों को बेहाल कर डाला। 

तु गैर की है, ये बात दिल से निकाल दें, 
मेरी झोली में तु दिल अपना डाल दे। 

चुरा लूँगा रस तेरा, मैं भँवरा बनकर, 
तु चाहे लाख पहरे बैठा दे इस गुलिस्ताँ में.!.! 

तु चाहे लाख मना करे, सहास बनके छोडूंगा। 
पैदा तुम्हारे लिए हुआ, तुम्हारा बनके छोडूंगा....! 

जान दे दूँगा, अगर इशारा हो गया तेरा, 
मनाऊंगा ईद, अगर नज़ारा हो गया तेरा। 

बीमार था तुझे देख आ गई रुख पे रौनक, 
रवानी देख, यूँ न समझ, बीमार का हाल अच्छा है...!! 

दिल तुमको दे दिया, ये दीवानेपन की हद थी, 
जान तुझपे लुटा दी, ये अपनेपन की हद थी!! 

धड़कनों शोर ना करो, मेरे सनम ख़फ़ा हो जाते हैं, 
वह मुझपे ही ख़फ़ा होते हैं, तुम तो दफा हो जाते हो। 

अगर इश्क होता है इश्क हो जाने दे, 
तेरी गलियों में दिल खोता, खो जाने दे..! 
   
मुकद्धर इश्क को भी लोगों ने, तिज़ारत् बना डाला, 
सूनकु की जिंदगी को भी लोगों ने, आफत बना डाला!! 

मत लग सीने से मोम की तहर तु पिघल जायेगा, 
दिल से उठते हुए शोलों में तु जल जायेगा.!!