“तुमको इतनी भी फ़ुर्सत नहीं„
अपनी एक खबर भेज सको!मालूम है कुछ हालात ऐसे बन गए!
लेकिन इतने भी नहीं की!
दुआ सलाम भी ना कर सको!
जयादा नहीं कुछ मांगता तुमसे!
मगर तुम अपनी खैरियर!
तो बता सकती हो!
जनता हूं मेरा तुमसे कोई रिश्ता नहीं!
लेकिन मैं कोई अनजान भी नहीं!
अपना सुख दुख तुमसे सांझा किया है!
कहीं ना कहीं अखरता है!
ना चाह कर सोचने को मजबूर करता है!
कैसे कैसे ख्याल मन में उठते है!
कभी बेचैन कभी फ़िकरमंद हो जाता हैं!