"राहत इंदौरी" के "दोस्ती" Best Shayri 


         दोस्त है तो कहा भी मान
          मुझेसे शिकवा भी कर, 
                   बुरा भी मान.!.! 


दिल को सबसे बड़ा हरिफ समझ, 
और इस संग को खुदा भी मान!! 


याद कर देवताओं के अवतार, 
हम फकीरों का सिलसिला भी मान... 

मैं कभी सच भी बोल देता हूँ, 
कभी-कभी मेरा कहा भी मान.!! 

कागजों की खामोशियाँ भी पढ़
इक-इक हर्फ को सदा भी मान!.!.! 

आजमाइश में क्या बिगड़ता है 
फर्ज कर और मुझे भला भी मान!! 

मेरी बातों से कुछ सबक भी ले , 
मेरी बातों का कुछ  बुरा भी मान!! 

गम से बचने की सोच कुछ तरकीब, 
और इस गम को आसरा भी मान.!.!