Dil Shayari
इश्क में दिल का बड़ा हि नाजुक रिश्ता...
होता है इश्क़ में दिल का बड़ा ही नाजुक रिश्ता सोच-सोच के बढ़ाना कदम इस तरफ अहिस्ता-अहिस्ता इक अनजान दुनिया की तरफ जाना पड़े शायद किसी वक़्त होगा न वहा कुछ ऐसा जो है इस दुनिया से वाबस्ता खुद का भी होश नहीं होगा फैसले बड़े करने होंगे खताओं का कारवां होगा और होगा न कुछ भी जानबू झकर जिन ख्याबो-ख्यालों को देख तुम चाह करते हो इश्क की वो मोहब्बत उलझी-सी कोई न सुलझाने को होगी पहेली दुनिया के बाजार में हर कोई इक शै है किसी की चाह की और रिश्तों की
तिजारत में इंसान हो जाता है बहुत सस्ता तुम करना न आसमां मे घिरे अब्र को देख सहरा में बसेरा निगाहों से उतर गए तो कांटों से रह जाओगे सुखा इश्क को मंजिल बड़ने से पहले खुद से तो मिल ले देखता नही फिर कोई वक्त दिख जाएगा गर मंजिल का रास्ता!!
हर मोड पे ऐसे इंतिहा होंगे...
कहनी मिलेगी इतिहास मे लिपटी खंडहर से निशा होंगे एक-दूसरे से मोहब्बत में जब हम कही किसी रोज जुदा होंगे क्या-क्या बयां करे तुमसे ये आँखे देखती है क्या-क्या ख्वाब हैं आज के इजाद ये अरमां रहके दिल में कभी तो जवां होंगे ये जिंदगी तो दिलों में बसर है उजड़ जाए ये आशियाँ तो फिर बिखरते इस जहाँ से जुदा तारों के बीच अपने मकां होंगे तुम छोड़ न देना साथ राह में मेरा जीते जी मिट जाने को उड़ जाएगा आंचल-सा साया मेरा सहारे सबके हवा होंगे जिने का अंदाज भूल जाता है हर कोई अपनी चाह मे जिकर तुम गमों से तौबा न कर लेना हर खुशी में गम निहा होंगे आने का न कर ऐतबार मिले पल तक ही पूरी कर ले आरजू यूं तो तसव्वुर दूर तक कर रखे हैं मगर इतने पल कहां होंगे जिस मंजिल की राह ही अनजान हो उसका बस इतना ख्याल है जिनकी आहट तक भी न होगी हर मोड पे ऐसे इंतिहा होंगे