लब पे आता है नाम तो कौनसा खुद को रह जाता है... 



लब पे आता है नाम तो कौनसा खुद को रह जाता है, 
नजर को भाया कोई शख्स ऐसा दिल में रह जाता है! 
मैंने उसके हाथों ही छोड़ अपने हक का फैसला दिया, 
मेरे हाथों हर अंजामआधा-अधूरा रह जाता है! 
मैं कुछ कहु इससे पहले वो पूछ ले खुद के दिल से, 
वो इतना करीब होते भी क्यों फासला रह जाता है! 
किताबे-इश्क़ के पन्ने रुसवाई की हवा पलटती है, 
हवा न हो तो जो सफहा जहाँ वही दबा रह जाता है! 
मैं आ रहा हूँ उसपे नजर रखे उसकी राहे-मंजिल से, 
पूछे जो वजह बनकर झूठा बहाना रह जाता है! 
अहले जहां के लिए छोड़ चले इस जमीं-आसमां को हम, 
बाहर में ले उतरेगे जो दिल जहां में जला रहा  जाता है! 
छोटा है अभी साथ छोड़ी है तुमने न हमने दुनिया, 
न देखने में भी देखने को बहुत कुछ रह जाता है!